रात अपने पूरे शबाब पर थी. शहर का सबसे पॉश और एक्सक्लूसिव बैंक्वेट हॉल, हज़ारों जगमगाती लाइट्स में नहाया हुआ था. यहाँ चल रही थी एक ऐसी ग्रैंड पार्टी, जहाँ दौलत, रुतबा और नामचीन हस्तियाँ एक ही छत के नीचे जमा थीं. हवा में महंगे परफ्यूम्स की महक घुली हुई थी और हर कोने से आ रही थी हँसी, कानाफूसी और सफल लोगों की धीमी गुफ्तगू की आवाज़ें. इस चमकती भीड़ में दो ऐसे परिवार भी थे, जिनके बीच सिर्फ़ दौलत और रुतबे की ही नहीं, बल्कि पुश्तैनी दुश्मनी की भी एक लंबी हिस्ट्री थी.ये थे राठौर खानदान और वर्धन