आरंभ — "वो आखिरी चिट्ठी""अगर तुम ये चिट्ठी पढ़ रहे हो, तो समझो मैं अब इस दुनिया में नहीं हूं... और अगर कभी गलती से भी 'कालवन' की ओर जाना पड़े — तो पीछे मुड़कर मत देखना। किसी भी कीमत पर नहीं।"ये आखिरी पंक्तियाँ थीं उस चिट्ठी की जो सूरज को उसके लापता बड़े भाई अर्जुन के कमरे से मिली थी। चिट्ठी पुरानी थी, लेकिन अक्षर आज भी जैसे ताजे खून से लिखे गए हों। सूरज को याद था — जब अर्जुन गया था, तब उसने कहा था, "मैं 'उस जंगल' की सच्चाई जानकर लौटूंगा..."लेकिन वो कभी नहीं लौटा।कालवन, एक