भूतिया झूला

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"अगर तुम्हें कभी किसी सुनसान जगह में पुराना झूला दिखे... तो उस पर कभी मत बैठना। वो किसी और के लिए है... किसी ऐसे के लिए जो अब इंसान नहीं रहा।"गाँव की परछाइयों में कुछ कहानियाँ सिर्फ फुसफुसाहटों में ज़िंदा रहती हैं। कोई उन्हें ज़ुबान नहीं देता... क्योंकि जो बोलते हैं, वो फिर कभी नहीं सुनते।और अगर आपने कभी ‘नरथुआपुर’ का नाम सुना है, तो यकीन मानिए… आप पहले से ही खतरे में हैं। वहाँ एक बच्चा था, जो मर कर भी कभी बड़ा नहीं हुआ। और हर अमावस को, जब हवा भी सहम जाती है, वो वापस आता है—झूले