सुबह के सात बजे थे…सोमवार का दिन।बाकी दुनिया के लिए ये एक आम सुबह थी, लेकिन डॉ. मयूर के लिए नहीं।आज कई दिनों के बाद रुशाली वापस अस्पताल लौटने वाली थी। मयूर सर के मन की उलझनें...आईने के सामने खड़े मयूर सर के चेहरे पर एक अलग ही रौनक थी।सामान्य दिनों की तरह गंभीर नहीं, बल्कि एक हल्की सी मुस्कान उनके होठों पर थी, जिसे वो खुद से भी छुपाने की कोशिश कर रहे थे।“दिल ने जिसे चाहा था,आज फिर से सामने आने वाला है।क्या वो मुस्कुराकर देखेगी?या फिर... नज़रें फेर लेगी?”उनका मन इन सवालों से भरा था।आज उन्होंने जानबूझ कर