प्यासी चुड़ैल

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"जो प्यास कभी बुझती नहीं, वो सिर्फ पानी की नहीं होती…"बारिश की रात थी। बादल गरज रहे थे जैसे आसमान भी किसी अज्ञात भय से काँप रहा हो। जंगल के किनारे बसे भैरवपुर गाँव में बिजली नहीं थी, और हर घर के दरवाज़े मजबूती से बंद थे। लोग कहते थे, जब-जब बारिश की बूंदें छत पर ज़ोर से गिरें और हवा की सरसराहट सीने में डर बनकर समा जाए, तब एक औरत की सिसकियाँ सुनाई देती हैं—धीरे-धीरे पास आती, जैसे कोई अपनी प्यास बुझाने चल रही हो...भैरवपुर का वो पुराना कुआँ अब सूखा पड़ा था। गाँव के बच्चे भी उसके