इश्क, पागलपन, यह है जूनून... - 1

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                        इश्क, पागलप ,यह है जूनून   " कौन हो तुम...?"लेखिका – शिवांगीरात के करीब 11 बज रहे थे।शहर अब चुप हो चुका था।सड़कें खाली थीं और आसमान में एक अकेला चाँद चमक रहा था,जिसकी हल्की रोशनी एक छोटी-सी बालकनी से होते हुए एक कमरे में जा रही थी।उस कमरे में एक 19 साल की प्यारी-सी लड़की गहरी नींद में सो रही थी।कमरे की लाइटें बंद थीं, सिर्फ चाँदनी उसके चेहरे पर पड़ रही थी।उसका चेहरा इतना मासूम लग रहा था, जैसे कोई थकी हुई परी आसमान से उतरी हो और ज़मीन