विशाल और भव्य फर्नीचर से सजी हुई एक आलीशान हवेली की तरह दिखने वाले घर में, कौशल्या जी अपने कमरे से बाहर आकर हॉल में रखे सोफ़े पर बैठीं।"राधिका, कॉफी ले आओ," उन्होंने कहा।रसोई में काम कर रही नौकरानी बोली,"अभी लाती हूँ, अम्मा जी।"कौशल्या जी अपने सामने रखे पेपर को पढ़ने लगीं। कुछ देर बाद आवाज़ आई,"अम्मा जी, कॉफी।"कौशल्या जी उसकी ओर मुड़ीं, कप लिया और पूछा,"तू आ गई बेटा, तेरी माँ नहीं आई क्या?"वो लड़की, ज्योति — नौकरानी राधिका की बेटी — बोली,"माँ को गाँव से फ़ोन आया था, कुछ अर्जेंट था… वो शाम तक लौट आएंगी।"कॉफी की चुस्की