तेरी साँसों के सहारे मेरी ज़िंदगी - 2

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"तेरी साँसों के सहारे मेरी ज़िंदगी"(भाग 2: तन्हाई, तड़प और साँसों का फिर से मिलन)समंदर का किनारा अब भी वही था, रेत वही थी, लहरें भी वहीं थीं,पर अब वहाँ वो मुस्कान नहीं थी, जो आयान की दुनिया को रौशन करती थी।अनाया चली गई थी।मजबूरी थी, माँ बीमार थीं और परिवार की ज़िम्मेदारी का बोझ उसे खींच कर ले गया।जाते वक़्त उसने कहा था —"ये कुछ दिन की बात है आयान... मैं जल्दी लौट आऊँगी। मेरी साँसे तुम्हारे पास ही छोड़ कर जा रही हूँ।"आयान ने सिर हिलाया था, पर उसका दिल जानता था —जिसके बिना साँसे आती तो हैं,