कार में सफर: नफरत या मोहब्बत?संजना कार की खिड़की से बाहर झांक रही थी। घने जंगलों के बीच से गुजरती सड़क पर सिर्फ कार की हेडलाइट्स का उजाला था। रात गहरी हो चली थी, लेकिन उसके दिल में सवालों का तूफान उठ रहा था। उसने धीरे से अपनी जगह बदली और हर्षवर्धन की ओर देखा, जो गहरी सोच में डूबा ड्राइव कर रहा था।"हम अब कहाँ जाएँगे?" संजना ने हल्की लेकिन उत्सुक आवाज़ में पूछा।हर्षवर्धन ने एक क्षण के लिए उसकी ओर देखा, फिर वापस सड़क पर नज़रें टिका दीं। "जहाँ किस्मत ले जाए," उसने ठंडे लहजे में कहा।"मतलब?" संजना