हर्षवर्धन ने बिना कुछ कहे अपनी जैकेट उतारी और उसे संजना के कंधों पर डाल दी। "तुम्हें पहले ही कह देना चाहिए था, पागल लड़की।"संजना ने मुस्कुराते हुए कहा, "तुम्हारी बाहों में इतनी गर्मी थी कि मुझे देर से एहसास हुआ।"हर्षवर्धन ने उसकी ठंडी उँगलियों को अपने हाथों में लिया और अपनी हथेलियों से गर्म करने लगा। लेकिन ठंड लगातार बढ़ती जा रही थी। हवाएँ अब और भी तेज़ हो गई थीं, जिससे संजना के गाल लाल पड़ गए थे।"अब और नहीं, हमें यहाँ से चलना होगा। आओ, कार में चलते हैं," हर्षवर्धन ने फैसला किया।संजना ने सिर हिलाया और