रात का जादूदानिश अपने कमरे में खड़ा था, एक मोटी फाइल के पन्ने पलटते हुए। कमरे में गहरी खामोशी थी, बस हल्की-सी घड़ी की टिक-टिक सुनाई दे रही थी। तभी, अचानक उसे एक हलचल महसूस हुई। वह सतर्क हुआ और दरवाजे की ओर देखा।दरवाजा धीरे-धीरे खुला और वहां खड़ी थी रिटा।वह आज पूरी तरह से अलग लग रही थी—जैसे किसी ने उसे चांदनी में नहला दिया हो। उसने चार-पीस रेड कलर की नेट वाली नाइटी पहनी थी, जो पूरी तरह से ट्रांसपेरेंट थी, लेकिन उसमें एक गजब की नजाकत थी। नाइटी की पतली और मुलायम डोरी उसके कंधों से लटकी