इश्क और अश्क - 63

(31)
  • 630
  • 1
  • 282

---और ये "खचचच..." की आवाज आई। तलवार उसके शरीर में घुस चुकी थी!"वर्धांन....!"(प्रणाली पूरी जान से चीखी)उसने ये मंजर अपनी आंखों से देखा।वो तलवार वर्धांन के पेट को चीरती हुई उसके शरीर में धंसी थी...वर्धांन ने अपनी आंखें बंद होने से पहले प्रणाली को वहां आते हुए देखा।और उसे देखकर मानो मौत भी उसके हलक में फंसकर रह गई..."त...त... तुम... यहां क्यों आई...? भ...भ... भाग जाओ यहां से..."(उसने लड़खड़ाती आवाज में प्रणाली से कहा)वर्धांन की ये हालत देख कर प्रणाली की आंखों से नदियां बहने लगीं...उसे कुछ समझ नहीं आया।वो भाग कर उसके पास आई, उन घुसपैठियों को एक ओर