वैद्य आए, उन्होंने पारस की नब्ज को पकड़ा और बोले:"माफ कीजिएगा महाराज, पर राजकुमार अब इस दुनिया में नहीं रहे..."महाराज को इतना तेज़ झटका लगा कि वह दो कदम पीछे हो गए...और अपना सीना कस कर पकड़ लिया!महारानी ने ज़ोर से रोना शुरू कर दिया।"नहीं...! ये नहीं हो सकता!" (प्रणाली ने सदमे में कहा)पूरे महल में मातम छा गया, और हर तरफ से रोने की आवाजें आने लगीं।आज प्रणाली का राज्याभिषेक था...प्रणाली अपने भाई के पास गई और उससे उठने की गुहार करने लगी।"भैया... उठिए ना... प्लीज़..."...और उसने पाया कि पारस का शरीर अब भी गरम है!"ऐसा कैसे हो सकता