इश्क और अश्क - 59

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"तुम्हें तो खुश होना चाहिए कि तुम्हें अब किसी मासूम को धोखा नहीं देना होगा... तो ख़ुशी दिखाओ?""लेकिन मुझे इतना बुरा क्यों लग रहा है...? अच्छा क्यों नहीं लग रहा..."(वो खुद से शिकायते कर रहा है):::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::वर्धान गरुड़ लोक पहुँचा, और अपने पुस्तकालय में सारी किताबों की छानबीन करने लगा...उसने बहुत सी किताबें देखीं, पर शायद वो नहीं मिला जो उसे चाहिए था।तभी वहाँ सय्युरी आई।"क्या कर रहे हो?"(उसने पीछे से पूछा तो वर्धान चौंक गया।)"अरे... क्या कर रही हो, डरा दिया तुमने!"(उसने किताबों को देखते हुए ही जवाब दिया।)"पर तुम कर क्या रहे हो? मुझे बताओ!" (उसने फिर पूछा।)"गरुड़ विष..."(वो