"अगर आगे चलकर मुझसे कोई गलती हो जाएगी...तो तुम मुझे माफ़ कर दोगी?"(उसने प्रणाली से पूछा)"ज़रूर... लेकिन... वो सच में एक गलती हुई तो ही..."(वो धीमे से बोली)"मुझे तुम अच्छी लगती हो..."(वो अचानक बोल पड़ा)"हम्म...? हां...? क्या?"(वो फटी आँखों से चौंक कर बोली)"मैं चाहता हूँ... हम यहाँ से कहीं दूर चले जाएं। बोलो...चलोगी मेरे साथ?"(वर्धांन की आँखें नम हो गईं)प्रणाली को कुछ समझ नहीं आया कि वो क्या बोले।वर्धांन ने अपना हाथ आगे बढ़ाया —उसकी "हाँ" का इंतज़ार करते हुए..."बोलो, प्रणाली...?"(उसने दोबारा पूछा)प्रणाली के माथे पर हल्की सी शिकन उभरी —"तुम्हें मेरा नाम कैसे पता? मैंने तो नहीं बताया..."वर्धांन चौंक