इश्क और अश्क - 57

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---पूरा चाँद आसमान में बहुत गुमान से फैला है। और उसी चाँद की चाँदनी में, प्रणाली आराम से अपने कक्ष की खिड़की पर बैठकर ये सोच रही थी कि अब उसे एक झूठी शादी नहीं करनी पड़ेगी।वो वर्धांन के बारे में सोचकर भी मुस्कुरा उठी... उसे अच्छा लग रहा था।दूसरी तरफ, अपने किए गए फैसले से परेशान वर्धांन खुद को कहीं सुकून नहीं दे पा रहा था।आख़िर उसे एक मासूम को अपने प्रेमजाल में फँसाना है — यही सोचकर बेचैनी और बढ़ गई थी।वो आसमान में एक हवाई गश्त पर निकल पड़ा।उसके वो विशाल, सुनहरे और गुदगुदे पंख हवा में