अशोका रुको! अशोका! ऊंची नीची पगडंडियों को पार करते हुए वह चले जा रहा था। उसके पीछे आती उस आवाज ने उसे रुकने पर मजबूर कर दिया। उसने पलट कर देखा और कहा..."राजकुमारी प्रेमलता" आप हमारे पीछे क्यों आ रही हैं ? वह अशोका के नजदीक आते हुए बोली....अब मैं आपके लिए आपकी "प्रेमा" राजकुमारी प्रेमलता हो गई। यह कहते हुए उसकी आंखे नम हो गई थी।अशोका ने कहा...हमें जाना होगा प्रेमा! हम यहां नहीं रुक सकते! और आपको साथ भी नहीं ले जा सकते। हमारा राज्य युद्ध की आग में जल रहा है। अपनी जननी की खातिर हमें जाना होगा।