“शांत रातों में जो गूंजती है,वो कोई सादा प्रार्थना नहीं...हर चूड़ी की खनक में छिपा है,उसकी साँसों का आह्वान कहीं…”ना देखो इन आँखों में… इनमें यक्षिणी बसती है,जो सौंदर्य में डुबो दे… वो मौत से भी सस्ती है।तेरा नाम पुकारे जो… वो पूजा नहीं, शाप है,तेरी हर धड़कन पर अब… उसका ही अधिकार है।तांत्रिक की जंजीरों से, जो आज़ाद हो गई,तेरी आत्मा की कीमत पर, फिर आबाद हो गई।तेरा चेहरा अब उसका नक़ाब बन गया है,तेरा जीवन अब उसका हिसाब बन गया है।"ना मंत्र बचा, ना ताबीज़ काम आया,जिसने उसे बुलाया, खुद मिट्टी में समाया।वो नहीं मरती… वो जन्म लेती