इश्क और अश्क - 51

दोनों की नज़दीकियाँ बढ़ने लगीं...अगस्त्य: देखा... यही वो वजहें हैं, जिनकी वजह से तुम ये कहानी नहीं जान सकती हो।रात्रि (धीरे से): पर मैं जानना चाहती हूँ।अगस्त्य (फिक्रमंद आवाज में): तुम्हें हॉस्पिटल चलना चाहिए।रात्रि अगस्त्य से थोड़ा पीछे हटी और कार फिर स्टार्ट की।थोड़ी देर में वो दोनों सय्युरी के घर पहुँचे।रात्रि: आ गए।अगस्त्य (अपनी आँखें दिखाते हुए): अब तुम यहीं मेरा वेट करना! मैं आता हूँ।रात्रि (मुँह टेढ़ा करके): तो तुम्हें लगता है कि मैं तुम्हारे पीछे आऊँगी?अगस्त्य (कार से बाहर निकलते हुए): हाँ!...और वो चला गया।रात्रि (कार की सीट पर हाथ मारते हुए): इसे क्या मैं जासूस लगती