सुबह का वक़्त........वैशाली बड़ी बेचैन होकर कुछ ढुंढ रही थी। उसने कबड़ के सारे कपड़े, बिस्तर पर बिखेर रखे थे।" वैशू ये सब क्या है, क्या कर रही हों तुम....? " वैभव कमरे कि उधड़ी हुई हालत पर नजर दौड़ाते हुए बोला, वैशाली अपनी ही धुन में पुरे कबड के कपड़े बिस्तर पर एक एक कर फेक रही थी। उसे परेशान देख वैभव उसके पास आकर उसे रोकते हुए उसका हाथ पकड़ लेता है।" वैशाली क्या हुआ, ऐसा क्या ढुंढ रही हो तुम? जो पुरा कबड खाली कर दिया तुमने?वैशाली परेशान और बुझी हुई आवाज में मासूमियत से बोली " वैभव, मुझे मेरी