श्रापित हवेली - भाग 3

  • 393
  • 138

सारापित हवेली – भाग 3: "आईने के पीछे जो दिखा…"मैं उस कमरे में घुसा जहाँ हवा भी अंदर जाने से डरती थी। दीवारों पर झाड़-झंखाड़ के निशान थे और एक कोने में टूटा हुआ आईना पड़ा था। उस आईने को देखकर मेरी रीढ़ में अजीब सी सनसनी दौड़ गई।आईने की सतह धुंधली थी, लेकिन जैसे-जैसे मैं करीब गया, उसमें कुछ अजीब दिखने लगा।  पहले तो अपना चेहरा दिखा…  लेकिन अचानक, आईने में मेरे पीछे एक और चेहरा नज़र आया।मैंने झट से पलटकर देखा — कोई नहीं था।मैंने फिर से आईने में देखा — अब उस चेहरे की आंखों से खून बह