**शापित हवेली - भाग 2**आर्यन की आंखों में पुरानी हवेली की छवि अब भी ताजा थी। दस साल पहले, जब वह वहां से भागा था, तब उसे उम्मीद नहीं थी कि कभी लौटेगा। लेकिन पिता की मृत्यु की खबर उसे खींच लाई। अंतिम संस्कार के बाद वह कुछ दिनों के लिए दुर्गापुर में ही रुका।एक रात, जब पूरा गांव सो चुका था, हवेली से फिर वही अजीब सी चीखें सुनाई दीं। आर्यन को लगा कि शायद उसका वहम है, लेकिन अगली सुबह गांव के एक बुज़ुर्ग ने कहा, “वो फिर जाग गई है... वो हवेली अब भी शापित है।”आर्यन ने