"कुछ दरवाज़े सिर्फ़ खोलने के लिए नहीं होते... कभी-कभी वो एक बार खुल जाएं तो बंद नहीं होते!"चारों तरफ़ गहरा सन्नाटा था, जैसे रात ने अपने काले परों से पूरे शहर को ढंक लिया हो। बारिश की धीमी-धीमी बूँदें पुराने सरकारी अस्पताल की टूटी छत पर टपक रही थीं, मानो समय खुद यहाँ मर चुका हो। ये था सिविल हॉस्पिटल, वार्ड नंबर 3, जहाँ कोई इलाज कराने नहीं, बस अंतिम विदाई के लिए आता था। और इस अस्पताल के सबसे पिछले हिस्से में था — पोस्टमार्टम रूम नंबर 13।यह कमरा पिछले दस सालों से बंद था, क्योंकि कहा जाता था