नींद में चलती कहानी... - 4

  • 483
  • 192

Rachna Babulal Ansariरात के तीसरे पहर की निस्तब्धता में, जब पूरा गाँव गहरी नींद में डूबा हुआ था, तब रुखसार बिना किसी आवाज़ के अपने बिस्तर से उठी और चुपचाप घर के पिछवाड़े की ओर चल पड़ी। उसकी आँखें खुली थीं, लेकिन उनमें होश का कोई नामोनिशान नहीं था। वह सपने और जागने के बीच की किसी रहस्यमयी अवस्था में थी। कभी वह बरगद के पेड़ के नीचे जाकर रुकती, कभी कुएँ के पास खड़ी हो जाती। ऐसा लगता मानो किसी अदृश्य शक्ति के इशारे पर वह चल रही हो। हवा में एक अजीब सी थरथराहट थी, और कुत्ते भी एक