[गरुड़ लोक | सुबह का पहला पहर]गरुड़ शोभित (रौबदार आवाज़ में): धरती पर जा रहे हो?वर्धान् एक पल को चौंक गया।मन में सवाल उठा—“इन्हें कैसे पता चला?”गरुड़ शोभित (आँखों में सीधे देख कर):सोच क्या रहे हो? मुझे ये भी पता चल गया है कि तुम वहाँ क्यों और किससे मिलने जा रहे हो।वर्धान् (आश्चर्य और संदेह में):पिताजी...? क्या मेरी गैर-मौजूदगी में आपने मेरी जासूसी करवाई?गरुड़ शोभित (गंभीरता से):तुम अभी पूरी तरह स्वस्थ नहीं हो।इसलिए तुम कहीं नहीं जा सकते।और ये अनुरोध नहीं, आदेश है।वर्धान् रुक गया। फिर एक हीरो जैसी चाल में पलटा,आँखों में वही पुरानी आग और आवाज़ में