इश्क और अश्क - 47

वैद्य: गरुड़ शोभित...! राजकुमार की नब्ज और दिल की धड़कनें अब अपनी रफ़्तार में आ गई हैं।गरुड़ शोभित (आश्चर्य से): क्या सच में?तभी वहां एक लड़की आती है—लड़की (घबराई सी): क्या वर्धान को होश आ गया?गरुड़ शोभित उसे देखते हैं और उनके चेहरे पर मुस्कुराहट दौड़ जाती है।गरुड़ शोभित (स्नेह से): ओ... तुम आ गई सय्युरी...? आओ!वो लड़की बड़े ही हक से अंदर आ गई। उसकी चाल में अधिकार था, और आंखों में चिंता।सय्युरी (थोड़ी शिकायत भरे लहजे में): गरुड़ शोभित... अभी तक वर्धान को होश क्यों नहीं आया?गरुड़ शोभित (हल्की सी झुंझलाहट के साथ): तुम्हें कितनी बार कहा है,