इश्क और अश्क - 46

प्रणाली तालाब के सहारे गरुड़ लोक पहुंची।(चूंकि वो एक ब्रह्म वरदानी थी और इस पीढ़ी की परी भी, तो उसके लिए वहां पहुंचना ज्यादा मुश्किल न था।)यहां का नजारा इतना खूबसूरत है — सोने-सी निकलती हुई धूप पेड़ों पर इस कदर पड़ रही है मानो किसी स्त्री का सोलह श्रृंगार कर दिया हो।चांदी से बहते झरने और इस पानी से निकलती आवाज़ कानों को अलग प्रकार का सुख दे रही है...प्रणाली वहां की माया से निकलकर और सब से बचकर महल पहुंची।वहां दरवाजे के अंदर घुसने के लिए अपने हाथों की छाप देनी पड़ती है।अब वो सोच में पड़ गई