द्वित्तीय अध्याय तक्षशिला यात्राजलाशय के तट पर बैठा कंबल ओढ़े एक अधेड़ आयु का दिखने वाला कुबड़ा व्यक्ति शीतलहर के प्रकोप से बचने के लिए अलाव से अग्नि का ताप ले रहा था। दायें गाल पर एक बड़ा सा मस्सा लिये, अपने सीने तक लम्बी भूरी दाढ़ी सहलाते हुए वो खाँसे जा रहा था। शीघ्र ही श्वेत धोती पहना एक बालक उसके निकट आया और उसे भोजन का एक थाल दिया, “ये लो मित्र। पेट भर खा लो।”कुबड़े ने दृष्टि उठाकर उस बालक की ओर देखा। लगभग सत्रह वर्ष की आयु के उस बालक का सर मुंडन किया हुआ था, कमर