भाग 12: गिरफ़्त से रिहाई… या नई क़ैद?(जहाँ मोहब्बत की सबसे गहरी यादें ही सबसे बड़ा सच बन जाती हैं) सना की आख़िरी रिकॉर्डिंग सुनने के बाद, आरव घंटों तक चुपचाप उस कमरे में बैठा रहा। टेप प्लेयर बंद हो चुका था, आवाज़ें थम गई थीं, लेकिन उसके भीतर जो हलचल थी, वो ठहरने का नाम नहीं ले रही थी। उसकी आँखें खुली थीं, लेकिन वो कहीं देख नहीं रहा था। जैसे सना की वो बातें — “तुम पागल नहीं थे… बस बहुत सच्चे थे” — आरव के ज़हन में बार-बार गूंज रही थीं। एक गहरी चुप्पी के बाद, सुबह