कविता का सफ़र कविता के सफ़र में कवि चाँद सितारों से आगे निकल गया l आकाशगंगा की अद्भुत क़ायनात को देखकर बहल गया ll आज खूबसूरती का मैला लगा हुआ लगता है की कवि l महफिल में एक से बढ़कर एक हुस्न को देख बहक गया ll जाने क्या बात होती है मस्ती भरी हुस्न की अदाओं में l निगाहों की मादकता भरे इशारों के आग़ाज़ से छलक गया ll कविता के हाज़िर होने का एहसास ही लगता खूबसूरत l मुकम्मल गुलशन की खुशबु के आने से शमा महक गया ll कल्पना, ख्यालों और ख्वाबों की