इश्क और अश्क - 42

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प्रणाली अपने कक्ष में आराम से सो रही है।तभी कुछ आवाजें आने लगीं... और वो तेज़ होती जा रही थीं।उसकी आंखें खुलीं। उसने देखा — बहुत सारी दासियां उसके चारों ओर खड़ी थीं।वो थोड़ा अचंभित हो गई।प्रणाली (मन में): इतनी दासियां...? ये सब क्या हो रहा है...?और इनके हाथों में ढालें क्यों हैं?उसने एक दासी से पूछा:प्रणाली: ये सब क्या हो रहा है???एक दासी (घबराई हुई):राजकुमारी, आप शांत रहिए...!अब उसे घबराहट होने लगी। वो चिल्लाई:प्रणाली: हुआ क्या है...? बताओ मुझे अभी...!दासी:राजकुमारी... गरुड़ों का हमला है।उन्होंने हम पर हमला कर दिया है, और महल में युद्ध हो रहा है।प्रणाली थोड़ा घबरा