इश्क और अश्क - 40

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सय्युरी: ...एवी... अगस्त्य... और रात्रि के सपने... सब उससे झूठ बोलते हैं... बेचारी!!!बस एक मैं ही हूं जो उसे सच बताना चाहती हूं।अगस्त्य: खबरदार...! I am warning you!सय्युरी: इस जन्म में भी प्यार हो गया क्या?वो उसे इग्नोर करके जाने लगा।रात्रि उन दोनों को ढूंढने के लिए बाहर आती है, सय्युरी जाते हुए अगस्त्य को रोकती है।सय्युरी (चिल्लाते हुए): वर्धान... वर्धान... सुनो तो!सय्युरी के ये शब्द रात्रि के कानों में पड़ गए।वो वहीं अपनी जगह पर रुक गई, उसकी आंखें झुंझलाने लगीं, उसे कुछ तो याद आ रहा है।रात्रि (आधे होश में खुद से): वर्धान...? ये नाम मैंने सुना है...