आंखें मत खोलना।और उसने ऐसा कुछ किया कि उसे उस जलन से राहत मिलने लगी।अब अगस्त्य ने अपना हाथ उसकी आंखों से हटा लिया।रात्रि (मन में): कौन हो तुम?अगस्त्य: तुम जाओ और आराम करो।(रात्रि चली जाती है)अगस्त्य (खुद से): तुझे खुद पर काबू रखना होगा, वरना इतिहास खुद को दोहराएगा।रात्रि (खुद से): कोई तो कड़ी है, जो मुझे और तुम्हें जोड़े हुए है, अगस्त्य... पर क्या?(अगस्त्य घर पहुंचता है)अर्जुन ने उसे अंदर आते ही पकड़ लिया।अर्जुन: भाई, सब ठीक तो है?अगस्त्य: हम्म...(वो जाने लगता है)अर्जुन (पीछे से): आप उसे बता क्यों नहीं देते कि आप उससे कितना प्यार करते हैं?(अगस्त्य