कहानी: "वो गुलाब, जो उसने लौटाया नहीं..."7 फरवरी, कॉलेज का Propose Day। हर तरफ फूल, शरारत, हिम्मत और इज़हार का माहौल था।मैंने आज फैसला कर लिया था — मैं उसे प्रपोज़ करूंगा।वो सिर्फ मेरी क्लासमेट नहीं थी... "आरुषि", मेरी धड़कनों का नाम बन चुकी थी।दो साल से मैं उसे हर दिन देखता था, हर बार दिल करता था बोल दूं — लेकिन कभी हिम्मत नहीं हुई। और अब... सिर्फ कुछ ही दिन बचे थे कॉलेज खत्म होने में।---सुबह 10:15 बजे – कॉलेज गार्डनमेरे हाथ में एक लाल गुलाब था, जो कल रात खुद से ज्यादा सोच कर चुना था।मैंने