जन्मों का प्यार? - 2

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सुबह 8:45 AMमुंबई यूनिवर्सिटीहल्की सी धुंध, लेकिन सूरज की रोशनी धुंध को चीरती हुई कैंपस के ऊँचे पेड़ों पर उतर रही थी।यूनिवर्सिटी की चौड़ी सीढ़ियों पर छात्र आते-जाते दिख रहे थे। कोई अपनी क्लास खोज रहा था, कोई बस लोगों को निहार रहा था।एक ऑटो रुकता है... और उतरता है — आशु।21 साल का, सीधा-सादा, हल्के गुलाबी होंठ, गहरी आँखे और सादगी से भरा चेहरा।मुंबई उसके लिए नया था — तेज़, भीड़भाड़ भरा, पर कहीं ना कहीं उसे यह शहर अपनी ओर खींचता भी था।        आशु...” — उसने खुद को धीरे से पुकारा — "तैयार हो जा,