कड़ाके की ठंड थी। जनवरी की सर्द रात में कोहरा इतना घना था कि सड़क पर कुछ मीटर आगे तक कुछ दिखाई नहीं देता था। रमेश और उसकी पत्नी सुनैना अपनी पुरानी मारुति 800 में नैनीताल की ओर जा रहे थे। दोनों ने कुछ दिन की छुट्टी ली थी, ताकि शहर की भागदौड़ से दूर, पहाड़ों की शांति में समय बिता सकें। रमेश ने कार का हीटर चालू किया हुआ था, लेकिन फिर भी ठंड उनके कपड़ों को भेदकर हड्डियों तक उतर रही थी। "रमेश, तुम्हें यकीन है ना कि हम सही रास्ते पर हैं?" सुनैना ने थोड़ा घबराते हुए