इश्क और अश्क - 25

उसने प्रणाली के चाकू वाले हाथों को अपने हाथों से पकड़ा, और एक तीव्र झटके में उसे घुमाकर सामने वाले पेड़ से सटा दिया। वर्धान के एक हाथ में अब चाकू था, और दूसरे हाथ को उसने प्रणाली की गर्दन के पास टिका रखा था। चाकू धीरे-धीरे उसके गालों को छूता हुआ नीचे सरक रहा था।प्रणाली (डरी-सहमी आवाज़ में):"ये क्या कर रहे हो...?"वर्धान (आंखों में गहराई लिए हुए):"जैसा तुमने बोला... मैं एक जासूस हूं, तुमपे नजर रख रहा हूं..."वो बस उसे एकटक निहारता जा रहा था।प्रणाली:"छोड़ो मुझे..."वर्धान (धीमे, गंभीर स्वर में उसकी आंखों में देखते हुए):"सुनो फूल वाली... मुझे तुम्हारे