इश्क और अश्क - 20

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उसने एवी को मार-मार कर जमीन पर गिरा दिया। उसकी आंखों में गुस्सा भरा था, मानो वो अपनी हर बात, अपने हर गुस्से का हिसाब कर रहा हो।अगस्त्य (गुस्से में): बोल... कौन है तू?(और ये कहकर उसने एक और घूंसा उसके मुंह पर मारा...)एवी (मुंह से खून टपकता हुआ): क्या बोल रहे हो तुम...?अगस्त्य (एक और मुक्का मारते हुए): मेरे भाई को क्यों इन्वॉल्व किया... और मेरी रा...(तभी रात्रि चिल्लाती है)रात्रि: अगस्त्य...!अगस्त्य फौरन रुक गया। रात्रि ने पहली बार उसका नाम इतने हक से लिया था। अगस्त्य का जैसे हौसला बढ़ गया। उसने पलटकर उसे देखा और बोला:अगस्त्य: रात्रि...!इतने में