इश्क और अश्क - 19

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[Scene continues: अविराज चला गया…]कौन से ख्यालों में खोई है...?मेघा ने रात्रि को हिलाया।रात्रि किसी सोच में मसरूफ़ थी। जैसे दिल कहीं और जा चुका हो... मेघा की आवाज़ ने जैसे नींद तोड़ी हो। वो चौंकी और बोली:"हां… हां… मां…! क्या हुआ?"मेघा (थोड़ा चिंतित होकर):"जब से हॉस्पिटल आई है, तब से देख रही हूं… पता नहीं, किस सोच में गुम है तू? हुआ क्या है तुझे?"रात्रि (धीरे से, नजरें चुराकर):"मां... मैं बाहर कब जा सकती हूं...? मुझे काम पर वापस जाना है... प्लीज..."मेघा (कड़ाई से):"बिलकुल नहीं! तेरे पापा और भाई के स्ट्रिक्ट ऑर्डर हैं कि तुझे कहीं नहीं जाने दिया