पहली तस्वीर, पहला सपना - भाग 3

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---(कुछ बातें सिर्फ वक़्त के साथ समझ आती हैं… और कुछ प्यार वक़्त से पढ़े-लिखे होते हैं।)लेक के ब्रिज से वापस आते वक़्त, हम दोनों कुछ नहीं बोले।बस… हाथ पकड़े रखा।जैसे बोलने की ज़रूरत ही नहीं थी।हवेली का वो कोने वाला छोटा बग़ीचा — जहाँ चमेली की हल्की सी ख़ुशबू फैली थी —वहीं जगह थी जहाँ राज ने मुझे रोका।"एक बात पूछूँ?"उसकी आवाज़ में कुछ था… जैसे कोई याद, या कोई डर।मैं बस उसकी आँखों में देखती रही।"तू कभी डरती है? मतलब…इतनी सी ख़ुशी मिलती है तो लगता है कहीं सब छिन न जाए?"मेरे दिल ने हल्का सा कम्पन महसूस