तेरे एहसास की खुशबू - भाग 4

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"तेरे एहसास की ख़ुशबू" – भाग 4(पिछले भागों में: आरव और अंशिका के बीच एक अनकहा रिश्ता पनप रहा था। छोटी-छोटी बातों में उनकी नज़दीकियां बढ़ रही थीं, लेकिन दिल की बात अभी भी अधूरी थी।)भाग 4: "मौन की मुस्कान"बारिश की बूँदें खिड़की से टकरा रही थीं। अंशिका अपनी डायरी में कुछ लिखने ही वाली थी कि फ़ोन की स्क्रीन जगमगाई — "आरव कॉलिंग..."“हैलो?” – अंशिका ने धीरे से कहा।“बारिश हो रही है… और मुझे सिर्फ़ एक ही चीज़ याद आ रही है,” – आरव की आवाज़ में वही पुराना सुकून था।“क्या?” – अंशिका मुस्कराई।“वो खामोश सी दोपहर… जब तुम्हारे