पिछले भाग में:रागिनी ने रक्त द्वार पार किया और एक दूसरी ही दुनिया में पहुँची — एक रहस्यमयी, स्याह जगह, जहाँ उसकी दादी की आत्मा जैसी एक छाया उसे मिली। वहाँ उसे बताया गया कि उसकी दादी ने एक अधूरी तांत्रिक साधना को रोकने की कोशिश की थी, लेकिन अब वह आत्मा फिर से जाग गई है। अब निर्णय रागिनी के हाथ में है — सत्य को उजागर करे या तंत्र को पूरा करे…आगे....चारों ओर धुंध थी। किताब अब भी वेदी पर खुली रखी थी, और उसके सामने वह परछाई — जो ना स्पष्ट दिख रही थी, ना पूरी तरह