पिछले भाग में:रागिनी को अपनी दादी दिव्या चौधरी की रहस्यमयी डायरी मिली। हवेली के एक गुप्त कमरे में उसे एक स्केच मिला — “तहखाना – रक्त द्वार”। वह यह समझ चुकी थी कि इस हवेली में कुछ ऐसा है जो अधूरा है, जाग रहा है, और शायद अब उसकी राह देख रहा है...आगे....रात के दो बज रहे थे। पूरा गाँव नींद में डूबा था, लेकिन रागिनी की आँखों में नींद नहीं, जिज्ञासा थी। दादी की डायरी में लिखा हर शब्द उसके मन में गूंज रहा था।उसने धीरे से बैग तैयार किया — टॉर्च, पानी की बोतल, किताब, मोबाइल, और एक