चुनौतियां , लुधियाना से दिल्ली तक ! मेरे फ़ेसबुक मित्र आदरणीय श्री एम.बी. त्रिपाठी का कहना है - “उत्साह संपन्न बनो , मुर्दा नहीं। बाहर की यात्रा की निवृत्ति हो गई तो अंतर्यात्रा की शुरुआत करो । यह स्थान परिवर्तन की बात नहीं , यह बहिर्मुखी वृत्तियों की चर्चा है।“ वे आगे लिखते हैं – “ वैसे मेरा स्वभाव बहिर्मुखी रहकर भी अंतर्मुखी है। खुद पहल कर लोगों का कुशल समाचार पूछते रहने का मै हिमायती रहा हूं.. छिप कर चोरों की तरह जीवन जीना मुझे पसंद नहीं।