️ कलम से पहला संवाद️("कुछ रिश्ते कहने से नहीं बनते बस, कलम उठाने से बन जाते हैं।")पटेल नगर की लाइब्रेरी में वो एक आम सी दोपहर थी। AC की मद्धम सी आवाज, कुछ पन्नों की खड़खड़ाहट और कुछ बेआवाज़ आँखों की लड़खड़ाती नजरें।दानिश हमेशा की तरह अपनी टेबल पर बैठा था आज थोड़ी बेचैनी थी, किताबें खुली थीं लेकिन दिमाग कहीं और था। वो आज आरज़ू के बिल्कुल पास बैठा था बस एक कुर्सी छोड़कर। दोनों के सामने नोट्स, पानी की बोतलें और वही चुप्पी बिछी थी जो अब रुंटीन बन चुकी थी।दानिश ने देखा उसका पेन के स्याही ख़त्म