इश्क और अश्क - 15

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एवी सिसकियों के बीच खुद से बड़बड़ा रहा था...एवी (टूटे हुए लहजे में):"ये दर्द समझने वाला कोई नहीं है...अब क्यूं परेशानी हो रही है तुझे...?यही तो तू चाहता था ना... कि वो तुझसे दूर चली जाए...फिर आज जब वो आगे बढ़ रही है...तो ये आंसू क्यों बह रहे हैं...? क्यों...?"(उसने खुद को ही शीशे में घूरते हुए देखा, और खुद से नफ़रत सी महसूस की…)---दूसरी ओर, रात्रि खुश है... बहुत खुश।उसने किसी को बेहद अपनेपन से गले लगाया...और वो शख्स कोई और नहीं, एवी ही था।एवी (भीगी आंखों से मुस्कुराते हुए):"मैंने इस दिन के लिए कितना इंतज़ार किया है रात्रि...कितना