रात्रि (नींद में बड़बड़ाते हुए): "अव... वी... वी... अविराज..."ये नाम सुनते ही अगस्त्य के चेहरे पर जैसे तूफान थम गया, और दिल का दरवाज़ा टूट गया।उसके हाथ से रात्रि का हाथ छूट गया। उसके लब काँपने लगे...अगस्त्य (आहिस्ता, टूटे स्वर में): "अविराज...?"उसने रात्रि के माथे पर हाथ फेरा, उसकी उंगलियों में कंपन था, और आँखों में बेबसी।"मैं तुम्हें तुम्हारी पुरानी यादों से दूर रखना चाहता था... लेकिन तुम उसी में उलझती जा रही हो... ऐसा मत करो रात्रि।""एक बेहतर कल तुम्हारा इंतज़ार कर रहा है... भूल जाओ अपने बीते हुए कल को... और... मुझे भी।"इतना कहकर अगस्त्य मुड़ा... और उसके