इश्क और अश्क - 12

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अगस्त्य (हल्की, धीमी आवाज़ में, जैसे खुद से कह रहा हो):"मुझे भी हुआ था... जब कल रात... तुम..."रात्रि (एकदम चौंककर):"क्या...? क्या कहा तुमने?"अगस्त्य ने अचानक उसका हाथ झटक दिया, और एकदम सख्त आवाज़ में बोला:"जाओ यहाँ से! गेट आउट!!"रात्रि (आँखों में आँसू, पर आवाज़ में हिम्मत):"क्या बोल रहे थे तुम? बात अधूरी क्यों छोड़ रहे हो... पूरी बात करो!"अगस्त्य (कड़वे स्वर में):"ठीक है! मैं ही चला जाता हूँ!"वो मुड़कर जाने लगा...तभी रात्रि बोल उठी:"वो आग कैसे लगी थी...? बताओ अगस्त्य... वो तुमने ही लगाई थी ना?"अगस्त्य रुक गया।रात्रि (धीरे-धीरे उसके करीब जाते हुए):"इतना बड़ा पेड़... एक पल में कैसे जल