"नहीं....! नहीं........! ये सच नहीं हो सकता!" — रात्रि चीख पड़ी।उसकी आवाज़ इतनी तीखी थी कि पेड़ों पर बैठे पक्षी भी फड़फड़ा कर उड़ गए।कैंप में मौजूद हर शख़्स चौंक गया।एवी भी गुस्से से तमतमा गया:“ये सब क्या बोले जा रहे हैं आप? ये सब झूठ है! आपको कुछ नहीं पता... प्रणाली गंगा की तरह पवित्र थी!”उसकी आँखें नम थीं, पर आवाज़ में कोई काँप नहीं था — एक चट्टान जैसी सच्चाई से भरा हुआ साहस।चारों ओर सन्नाटा छा गया। सब एवी की ओर देखने लगे।कोई फुसफुसाया, “इसे क्या हो गया...”दूसरा बोला, “इतना personal क्यों हो गया suddenly?”लेकिन एवी बिना