बरसों बाद तुम - 4

  • 300
  • 90

️ एपिसोड 4: "वो पन्ना जो दिल को छू गया..."> “कभी-कभी एक कागज़ का टुकड़ा वो कर देता है...जो सालों की खामोशी नहीं कर पाती।”---स्थान: ट्रेन — रेहाना की बर्थट्रेन की रफ्तार धीरे-धीरे तेज हो चुकी थी। खिड़की से बाहर अंधेरा था, लेकिन अंदर एक रौशनी थी — एक कागज़ की, जो उसके हाथों में था।वो पन्ना...जो आरव ने स्टेशन पर दिया था।उसके हाथ काँप रहे थे।शब्द अब आँखों में उतर रहे थे, और आँखों से दिल में।--- उसने पढ़ा…“तुम आई थीं…और लगा कि जैसे सब रुक गया।वो सात साल, सात सेकंड से ज़्यादा नहीं लगे…”“तुमने कुछ नहीं पूछा —